२० वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रों ने 300 किमी/घंटा की स्पीड वाला 'कामीकाज़े ड्रोन' बनाया, LinkedIn पर किया प्रदर्शन, भारतीय सेना से डील पाई —
🛩️ उपलब्धि का सारांश:
दो युवा इंजीनियरिंग छात्रों — जयंत खत्री और सौर्य चौधरी, जिन्होंने हाल ही में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है, ने एक बेहद प्रभावशाली स्वदेशी ‘कामीकाज़े ड्रोन’ का विकास किया है। इस ड्रोन की अधिकतम गति 300 किलोमीटर प्रति घंटा है, और यह दुश्मन के ठिकानों पर आत्मघाती हमले (Suicide/Loitering Attacks) कर सकता है।
इन्होंने अपने इस इनोवेटिव प्रोजेक्ट को LinkedIn पर पोस्ट किया, जिससे न केवल आम लोगों बल्कि भारतीय सेना का भी ध्यान गया। सेना ने उनसे संपर्क कर इस तकनीक में गहरी रुचि दिखाई और अब इनकी कंपनी को भारतीय सेना के साथ अनुबंध (Deal) मिल चुकी है।
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🧠 क्या है 'कामीकाज़े ड्रोन'?
यह एक प्रकार का लॉइटरिंग म्यूनिशन होता है जो पहले दुश्मन के क्षेत्र में उड़ता है, टारगेट को पहचानता है और फिर सीधा जाकर उससे टकरा जाता है।
यह ड्रोन आत्मघाती हमला करता है और खुद के साथ टारगेट को भी नष्ट कर देता है।
इस तकनीक का उपयोग दुनिया के कई आधुनिक देशों की सेनाएं कर रही हैं, और अब भारत में भी यह तेजी से अपनाई जा रही है।
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🔧 तकनीकी विशेषताएँ:
गति (Speed): 300 किमी/घंटा
नियंत्रण प्रणाली: अत्याधुनिक नेविगेशन व लक्ष्य निर्धारण प्रणाली
निर्माण: स्वदेशी तकनीक और घरेलू संसाधनों से
विशेषता: उच्च सटीकता, कम लागत, हल्का वजन, मैन्युअल व AI-आधारित नियंत्रण
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🧑💻 कौन हैं ये छात्र?
जयंत खत्री और सौर्य चौधरी, दोनों अभी 20 वर्ष के युवा हैं।
इन्होंने इंजीनियरिंग के दौरान ही स्टार्टअप की नींव रखी और ‘Make in India’ अभियान को मजबूती दी।
अपने ड्रोन का डेमो वीडियो इन्होंने LinkedIn पर अपलोड किया था, जो कुछ ही दिनों में वायरल हो गया।
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🇮🇳 भारतीय सेना की रुचि और डील:
सेना ने इनकी तकनीक को रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी पाया।
डील के तहत अब इनका स्टार्टअप भारतीय सेना के लिए ड्रोन का उत्पादन करेगा।
यह सौदा भारत की रक्षा क्षेत्र में नवाचार (Innovation) और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देता है।
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📣 इस सफलता का महत्व:
यह कहानी भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि आवश्यकता, नवाचार और डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे LinkedIn) के माध्यम से भी बड़ी संभावनाएं प्राप्त की जा सकती हैं।
यह आत्मनिर्भर भारत और ‘Make in India’ मिशन को नया आयाम देता है।
ड्रोन टेक्नोलॉजी में भारत की रणनीतिक क्षमता को भी बढ़ाता है।
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